मेवाती बिचौला || Mewati Bichaula | Mewati Tukbandi

अस्सलामुवालाइकुम दोस्तों,

मेवात के सामाजिक तानेबाने में एक किरदार जो महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है। वह है बीचौला।

बिचौला का अर्थ – बिचौला का शाब्दिक अर्थ है “बीच वाला”   जो दो आदमियों या परिवारों में मध्यस्थता निभाता है।

मेवात में बिचौला का रोल शादी रिश्ते जोड़ने के लिए होता है । लड़के वाले और लड़की वालों के बीच रिश्ते करवाने वाले को बिचौला कहते हैं।

इसी किरदार पर पेश है मेवाती तुकबंदी (Mewati Tukbandi) by जुबेर हनीफ खान

Note:- यह तुकबंदी मेवाती भाषा में है यदि आपको को किसी शब्द का अर्थ नही पता हो तो बेझिझक कमेंट में पूछ सकते हैं।

 

झबरू (छौरा वालो)

 

छौरो करगों ग्यारहवीं, अब के बारवीं पढ जाए।

फारम भरो पुलिस को, कह तो नौकरी चढ़ जाए.

रिश्तो कोई बता दे ढंग को, हर हालत में करणो है,

यूभी पचे कहां तक इकली, रौज-रोज को मरणो है.।।

 

मुक्कर(बिचोला)

 

तैने कैसी फिकर करी, दूं रिश्तो बता अभाल।

पर पहले वाडीयाए बता दे, कितनो चहिये माल।।

 

 

झबरू

 

दक्ख ई तौहे का ना दीखरी, खबर है सब कुछ तौए।

रिश्तोला कोई छांटवां, कोई ढंग को माणस हौए.

रिश्ता तो दखी बोहत हैं, पर ढंग को नहीं बिचोला,

तू माणस यार भरौसा को, और ऊपर से बौला।।

 

 

मुक्कर (बिचोला)-

 

 

तू खुल के मौलू दे बता,गौल मौल मत राख ।

या में कुछ भी सरम नहीं,हौएं रुपया कितना लाख।

साधन चहिए कोण सो,जासू पड़ जाए पार।

मैं रिश्तो अभी करा दूं,रख घी बूरा तैयार।।

 

 

झबरू (छौरा वालो)-

 

 

किं इतनो ज्यादा जिद करो,खुद ही देख ले यार।

दखी बड़ा भाई को छोरो,आयो अभी बिहार ।

रुपया मिलगा सात लाख,और एक चोपहिया कार।

बसया के आजू-बाजू में ,अपणी पड़ जाए पार

खुद ही तू अब देखले,जैसे तैरा मन में आए।

बात रहे अपणी तू जब,कोई ढंग को रिश्तो लाए।।

 

 

मुक्कर(बिचोला)-

 

 

दूं ऐसो माणस ढूंढ के ,अभी नजर में छाणूंगो ।

बिल्कुल चिंता मत करे , तुरत झोंपड़ी ताणुगो।

 

 

रसूली (छौरा की मां):-

 

 

बूरा की चिंता मत कर ,घी सू दूंगी तौल।

पर ध्यान हमारो राखियो ,तौसू रही हूं बौल।

कोई कमी ना मैरा घर में छौरी भी सुख पाएगी।

काम सटैटो खुद ही कर लूं ,बैठी बैठी खाएगी घी बूरा।।

 

 

झबरू ( छौरा वालों)-

 

 

बात सटैटी खोल दी ,लग जा तू या काम पे।

दाण दखी ऐसो चलिया ,कटे ना सारा गाम पे।।

 

 

मुक्कर (बिचोला)-

 

 

बैठे-बैठे बारह बज गा ,घर जाके करूं विचार।

मेरी नजर में हां बीरा ,ऐसा रिश्ता दौ चार।।

 

मुक्कर-(अपणे घरे)-

 

 

छौरा मौलू लाके दीजो ,मैरो बजरो फोन।

तो है बिल्कुल ना सुणरी ,कदकी बजरी रिंगटोन।

 

 

खड्डी (मुक्कर की मावसी को छोरो)फोन पे-

 

 

ठीक-ठाक भी हा बीरा , तौलू करूं सलाम।

मुक्कर सुणियो बात मेरी, तौसू पड़गो काम ।

छौरी होगी अपणी स्याणी, मैरो नहीं डौलणो बसको ।

रिश्तो कोई ढूंढ दे ढंग को, ब्याह लिखंगा दस को।

 

 

मुक्कर-

 

 

छौरा तेने लिया बिहा, कब तक तू ही गरजेगा ।

दखी नंबर आयो दैणा को, अब के तो तू बरसेगो ।

चोघर घांसू खूब मिलो , वाड़ी तौलू माल ।

अब नंबर आयो दैना को , कैड़ी कर ले खाल।।

मेवाती तुकबंदी में यह कृति “मेवाती बिचौला” कैसी लगी हमे कमेंट करके जरूर बताएं । और मेवाती भाइयों के साथ जरूर शेयर करें ।

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